हाजरा हत्तय कांड
याद करो वह दिन
जब खुन से शने थे लोग ,
याद करो वह पल
जब कानुन ने नहीं दिया सैयोग
हाजरा मे भिड़ उमार पड़ी थी
मांग रहे थे यह इंसाफ,
पुलिस बंदुके ताने खड़े
करने आए सभी को साफ
अब आई वो कठोर घड़ी
जब चली थी गोलियाँ,
बेचारे कांग्रेसी गीर पड़े थे
खेली खुन कि होलियाँ
बंदुके चलती गई
लोग मरते गए ,
लैकिन इंनसाफ मांगते हुए
आखरी दम तक लड़ते गए
मौत कि नींद सुला दिया हमे
अलविदा धरती माँ ,
हम तो भाई कांग्रेसी थे
क्या यहीं हमारी गलती था
तड़प - तड़प कर लोग थे
बहनो ने भी दिया बलिदान ,
आज जान हथेली पर रखकर
बचानी थी गरीबो कि शान
भूल न जाना उन्ह लोगो को
जिन्होने बंगाल को किया आज़ाद ,
रक्त गंगा बह गई थी
उस कुर्बानी के बाद
Written by :- Shaunak Chakraborty