आज था वर्षा का दिन


आज जब नींद खुली थी
हो रहा टिप - टिप भीन भीन
खिड़की से देखा नज़ारा
आज था वर्षा का दिन

नाच रहे थे मौर - मौरनी
बच्चे - बूढ़े भी शामिल
नाच - झुम के गा - गाके
कहते आ प्रकृति से मिल

मेरा भी ह्रदय झुम उठा था
कैसे रहता नाचे बिन
दौर उछल के निकल पड़ा था
आज था वर्षा का दिन

मित्रो के संग नाच रह था
हरियाली थी चारो ओर
मेघा ले गई सूर्य को
बन कर के जैसे कोई चोर

आज नज़ारा उत्तम था
कट गया रवि के बिन
आज था वर्षा का दिन
आज था वर्षा का दिन 

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